मैं अपने होटल की ऊपर की मंज़िल में बैठा था.. फिर उठा और थोडा टहलने की मंशा से बाहर बालकनी में आ खड़ा हुआ… नीचे गंगा घाट था और सामने कल-कल बहती गंगा.. सामने दूर-दूर चारो तरफ फैली ऊँची पर्वत श्रृंखलाएं… ठंडी हवा का एक झोंका आया और बदन को छूता हुआ न जाने कहाँ […]