Corona| कोरोना में एक माँ की पीड़ा

—–पुष्पा थपलियाल द्वारा लिखित——

घर में उथल-पुथल सी हो रही थी… राहुल की मम्मी काफी बिमार थी… उसके पापा का फोन आया था कि कुछ भी हो सकता है… बेटे आप को काफी याद कर रहे हैं कि तू भी आ जा… बहू और बच्चो को मत लाना Corona का खतरा है… हाँ मास्क लगा कर आना और बाहर कुछ खाना मत… घर से पानी की बोतल भी साथ रख लेना व तीन चार जोडी कपडे भी रख लेना… तेरी माँ की हालत नाज़ुक है… काफी कमजोर हो गयी है… बहू से कहना बच्चों को बाहर जाने मत देना… जो कुछ खाना हो घर मे ही बनाये… हाँ पापा, कह दूंगा अब फोन रखो मैं तो निकलने की तैयारी ही कर रहा था… जब से माँ का सुना है, परेशान हैं हम… मैं पहुँचता हूं परेशान मत होना अब… तैयारी कर ही रहा था कि बडा बेटा जिद्द करने लगा की मुझे भी ले चलो दादी – दादा को मिलने… नहीं बेटा आप क्या करोगे ? बाहर कोरोना Corona खतरा भी है… इतने मे रीना बोली जी ले जाओ ये दोनो लड़ते हैं और मुझसे डरते भी नहीं है… ले जाओ इसका सामान भी रख दूँ ? चल रख दे पर समझा देना की बाहर कुछ भी न मांगे… सोनू जो सब सुन रहा था झट से बोला हाँ – हाँ कुछ नहीं माँगूगा… और दोनो चले गये… रीना बालकनी से चिल्लायी, फोन कर देना पहुंच कर… हाँ – हाँ कर दूँगा… रीना चार साल के मोनू को लेकर अंदर आ गयी…अब उसने घर समेटा, कपड़े बर्तन किये और मोनू को ले कर सो गई… शाम को उठकर चाय पी और टेलीविज़न देखने लगे… याद आया ये लोग पहुंच गये होंगे फोन तक नही किया… खुद फ़ोन किया और बोली क्या है ? फोन तो कर देते… माँ बहुत बिमार है उसी मे लग गया… शायद अस्पताल मे भर्ती करना पड़े… ओहो बता देना ताकी मैं भी आ जाऊं… राहुल परेशान था अरे आना ही पडेगा… बता दूंगा… ओके, इतने मे प्रधान मंत्री ने घोषणा कर दी कि Corona लॉकडाऊन होगा और कल सब घरों में ही रहेंगे… कोई बाहर न जाये जो जहां है वहीं रहे… सब कुछ बन्द… अब रीना परेशान हो गयी पता होता तो मैं भी चली जाती…  गाड़ी तो गयी ही थी… अब क्या हो सकता है… उधर सासु – माँ की तकलीफ़ बढती ही जा रही थी… और उनका स्वर्ग वास हो गया… पता चला Corona के कारण आस पास के पांच सात लोग ही अन्तिम संस्कार करके आ गये… Corona लॉकडाउन बढ़ता ही जा रहा था… कोरोना (Corona) के मरीज बढ़ते ही जा रहे थे… लोग घबराये हुए थे, कहीं आना जाना बन्द था… परिवार बंट गया था… केवल फोन पर ही हाल चाल पूछे जा रहे थे… कोई सब्जी व फल वाले आ रहे थे… फ़ेस बुक व वट्सप की वीडियोज़ देख कर हर किसी से सामान लेते हुए भी ड़र लग रहा था… जानने वालों से ही सामान ले रहे थे… मन भी अकेले घबरा रहा था… कैसे होगा सब राहुल भी बड़ी परेशानी मे पड़ा हुआ था… न खुद निकल पा रहा था ना रीना मोनू को लेकर जा पा रही थी… 

कल जब रीना राहुल से बात कर रही थी तो बता रही थी की उसे हल्का सा  बुखार है… राहुल ने उसे डांट दिया कि बाहर क्यूं जा रही हो पर दूध व छोट मोटा सामान तो लाना पड़ता ही है… क्या पता माँ की तेहरवी तक लॉक डाउन खुल ही जाये पर अब तो बिमारी काफी फैल गयी है… अब बाहर नही निकलना है यह हर व्यक्ति को समझना चाहिए… डॉक्टर पुलिस-प्रशासन सब बिमार होकर मर रहे हैं घर के घर उजड  गये हैं… अब तो कोरोना (Corona) मरीजों को भी पूछा नही जा रहा है… मरे हुए लोग घरो मे सड रहे है… डर के मारे कोई उठा भी नही रहा है… अचानक मोनू जोर – जोर से रोने लगा, उसे तेज बुखार था… रीना घबरा गयी सोचा दवा ले आऊँ राहुल को बाद में बता दूंगी… पता चला की ये कोरोना (Corona) के लक्षण है तथा दोनो की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी… बच्चा छोटा था तो जल्दी Corona से ग्रसित हो गया… अब वहां दोनो को अलग अलग क़ुअरेन्टीन करना पडेगा, रीना चिल्लाने लगी बोली ये अभी बहुत छोटा है मुझे तो है ही मुझे भी इसी के साथ रख दो… अरे मैडम ये नही होता और वो बच्चे को ले गये… वह चिल्लायी, वो मेरे बिना नही रह सकता वो डरता भी है… रात को मेरे बिना नही रह सकता वह पीछे – पीछे भागी… वो ज़ोर – ज़ोर  से रो रही थी… दो लोगो ने उसे पकड कर अंदर कर दिया, हाय मैं क्या करुँ ? हे ईश्वर ! अगर मैंने कभी  तेरा  नाम ठीक से लिया हो तो मेरे मोनू को ठीक कर दे। हे परमेश्वर ! मैंने किसी को दुख नही दिया,,न किसी  का बुरा किया या सोचा… हे भगवान ! मेरा सारा पुण्य मेरे  बेटे पे लग जाये…मेरी जान ले लो परभू पर मेरे छोटे से बच्चे को ठीक कर दो… हे मालिक ! ठीक करो मेरे बेटे को वो दोनों  हाथ ऊपर उठाये गिड – गिडा रही थी… उसे देख कर सारे लोग  भी रो रहे थे… उसकी करुणा मयि आवाज सुन  सभी आते – जाते लोगों को  भी पीड़ा  हो रही थी…

Corona

कहते हैं ना, ऐसा दुश्मन को भी नहीं हो… पर देखो ना आजकल दुनिया परेशान है। हे प्रभु ! तेरी माया तू जाने। तभी रीना का फोन बजने लगा… उधर से राहुल था… राहुल अरे केसे हो ? आज फोन नही कर पाया मैं… रीना जोर – जोर से रोने लगी… बोली राहुल सब कुछ खतम हो गया… राहुल ये सुन कर घबरा गया। रो क्यो रही है… क्या – क्या बोल रही है ? कहाँ है तू ? तभी एक कर्मचारी ने फोन ले लिया… अरे भाई साहब,  ये मैडम हौस्पिटल मै है… ये और इनका बच्चा कोरोना (Corona) के घेरे मै हैं…  क्या ? राहुल बोला… ये बेहोश हो गई हैं… हम लोग देख रहे हैं… ओके दोस्त, मैं आता हूँ… और फ़िर वह रो पड़ा… हे प्रभु ! ये क्या हो गया है। राहुल के पापा ने सुना तो बेहोश हो गए… पापा  पापा कह कर सोनू से पानी  मंगवाया… पानी छिडक कर वो होश मै आये… तब सारी  बात पता चली… अब मजबूत हो कर काम करो…

आज ही  माँ की तेरवीँ  की… अब सुबह-सुबह निकल जाते है… मेरा एक दोस्त है  वो आधिकारि हे बेटे मैं फोन कर जाने के पास  बनवां देता हूं… हाँ, वहां भी शुद्ध  करवाने को कह देता हूँ… हाँ पापा  में अपने दोस्त  को फोन करता हूं… वो अभी रात में ही सेनिटाईजर का छिडकाव करवा देगा ताकि घर में जाने से पहले सब कुछ शुध्द हो जाये… सुबह राहुल ने पापा का समान  भी एक बैग में रखा… आज कल काम वाली  भी नही आ रही थी, रोज की तरह आज भी  नाश्ता बना कर दिया  और पापा के दोस्त को फोन किया… तो पता चला कि वो अभी corona पास बनवा के ले कर आ रहा है… व एक पत्र भी कि कोई रोके तो दिखा दे… और पास आते ही वे कार में  समान रख कर जल्दी से  निकल गए… राहुल काफी परेशान  था… पापा उसे समझा रहे थे… सब ठीक होगा बेटे ऊपर वाले पर भरोसा करो… जैसे तैसे  घर पहुँच गए… पड़ोस के लोगों को  भी तभी पता चला कि यहाँ कुछ हो गया… सभी को  लगा की माँ  के जाने के बाद पापा को ले आये हैं… रीना व मोनू का तो अब पता चला सभी को… लोग डर भी रहे थे सभी को समझ आया की कल रात छिडकाव क्यों हुआ… लोग बातें कर रहे थे की ये भी ठीक किया… अपना जीवन corona से बचा लिया… लोग दुनियाँ तो सोशल डिस्टेंस बना ही रहे हैं और ये भी जरूरी था… फिर पापा सोनुको ले कर अन्दर चले आये… व राहुल अपने पड़ोसी दोस्त के साथ  हॉस्पिटल चला गया… वहां पता चला की दूर से ही देखना है। राहुल ने दूर से ही रीना व मोनू की झलक देखी… बहुत रोया था राहुल… दोस्त ने सम्भाला… हे प्रभु ! कैसे रह रहा होगा माँ के बिना… भगवान इस को ठीक करो… मेरा नन्हा – मुन्ना… आंसू थम नहीं रहे थे… पता चला कि उसे छोटा होने की वजह से तेजी से फ़ैल रहा था…

Mother and Child in Corona Lockdown

इस तरह समय बीत रहा था… रीना की तबियत में सुधार हो रहा है… पर बच्चा सहन ना कर पाया व वह इस दुनिया को बिना देखे चला गया… जब राहुल को पता चला तो वो तो बेहोश होकर गिर पड़ा… पर भाई जेसा पड़ोसी जिसने उसे सहारा  दिया और सम्भाल लिया… फिर वह बोले हम अपने हिसाब से दफना देते है… ये सब सुन कर राहुल कार की सीट पर सिर रखकर खूब रोया… फिर दोस्त ने कहा चलो अब व वो खुद ही कार चला कर राहुल को घर लाया… राहुल ने पापा को रोते हुए लिपत कर कहा पापा मैं अपने मोनू को एक फूल व दो मुट्ठी  भी नहीं डाल पाया… पापा भी खूब रोये, यही लिखा था उस के भाग्य में… पुलिस वालों  को बता दिया कि रीना को न बताएं और पूछे तो कहना कि वो घर चला गया है…  फिर उसने पास खड़ा रो रहे सोनू को चुप कराने के लिए उसे अपने सीने से चिपका लिया… हे ईश्वर आप ने जो उस दिन मुझे सोनू को ले जाने की प्रेरणा दी… मैं आपका आभारी हूँ… वर्ना आज मै  अपने दौनों ही बेटे खो देता…

घर में मातम छाया था… कोई – कोई अगल – बगल  के लोग मास्क पहनकर आ – जा रहे थे… मेरे दोस्त की पत्नी चाय व कुछ खाने को ले आई, वह भी रो रही थी… सोनू व पापा को खिला रही थी… व बोल रही थी अब संभालो खुद को व भाभी के लिये दुआ करो… और यही कोई दस दिन बाद रीना को आज घर लाना था… राहुल लेने गया था… रीना ने मोनु के लिये पूछा तो कहा कि वो चला गया है ठीक हो के… जब रीना घर पहुँची तो लोगों ने उसके ऊपर फूल बरसा दिये… लोग दुखी भी थे की ये सब क्या हो गया… जब उसे पता चलेगा तो क्या होगा…  कुछ लोग मास्क पहनकर  दूरियां बना कर आ गये थे… उसे कहा, कुछ दिन और अलग रहना है सब कुछ अलग, फिर एक टेस्ट करवा के पहले की तरह हो जायेगा… रीना कमरे में चली गई… सोनू माँ को देख कर खुश था… और रीना भी… दादा ने सोनू को प्यार करते हुए कहा कि अब माँ  साथ है… दूर से देखो माँ  को ओके… हाँ दादू, सोन ने कहा… रीना बोली पापा मोनू कहां हैं ? सो रहा है बेटे और नजर चुरा कर चले गये… अपने आंसू – पोंछ कर गहरी सोच में डुब गए।

दोनो बाप बेटे बात कर रहे थे कि कैसे करेँ… दोस्तों,इस प्रकार इस महामारी की पीडाभरा बिलाप शब्दों में क्या बताऊँ आप सभी समझ सकते हो… इतना ही कहना है भगवान ऐसा किसी को ना हो… ऊपर वाले की ताकत के आगे कुछ नही होता… बाकी जो जितना लिखवा के लाया है तभी तक है… अगर आज कल की हालत देखकर कोई न समझा तो वो कभी नही सुधरेगा…

कहानी कल्पना पर आधारित है… आज कल के हालात पर…

लेखिका  पुष्पा थपलियाल

फोन नंबर: 8587890152

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