Devshayani Ekadashi (देवशयनी एकादशी) 2020

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2020)कहते हैं। कहते हैं, भगवान विष्णु पाताल लोक में इस दिन विश्राम करने (गहरे ध्यान) चले जाते हैं और चार महीने बाद प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhani Ekadashi) पर जागते हैं । भगवान् वुष्णु के इस तरह शयन में चले जाने से इसको देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2020) कहते हैं। 

Devshayani Ekadashi 2020

यह एकादशी जगन्नाथ रथयात्रा के ठीक बाद आती है और अंग्रेजी कैलेंडर पर जून या जुलाई के महीने में आती है। यह एकादशी इस वर्ष 1 जुलाई, 2020 को आ रही है। एकादशी तिथि का प्रारंभ जून 30, 2020 को शाम 07:49 बजे होगा और  1 जुलाई को  शाम 05:29 बजे तक रहेगा। हिंदू कैलेंडर में चातुर्मास इसी दिन से शुरू होती है। इन चार महीने में कोई भी कार्य करना शुभ नहीं माना जाता। 

देवशयनी एकादशी इन नामों से भी जानी जाती है – पद्मा एकादशी , आषाढ़ी एकादशी और हरि शयनी एकादशी। इस एकादशी का व्रत बहुत अहम् माना जाता है। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद एकादशी पारण किया जाता है (व्रत खोलना)। द्वादशी तिथि के भीतर पारण करना आवश्यक है। द्वादशी के भीतर पारण न करना एक अपराध के बराबर है।

Devshayani Ekadashi Vrat 2020

एकादशी व्रत दशमी रात्रि को ही कर दिया जाता है और इस दिन रात्रि में बिना नमक के सात्विक भोजन करना चाहिए । एकादशी के दिन प्रातः उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान् विष्णु की मूर्ती की स्थापना करनी चाहिए। भगवान को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए व धूप, दीप, पुष्प, अक्षत आदि से पूजा करनी चाहिए. भगवान को ताम्बूल, पुंगीफल, नारियल, तुलसी के पत्ते अर्पित करना चाहिए तथा एकादशी व्रत की कथा भी सुन्नी चाहिए।

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