जब से गौलोक धाम गयी……… मैं अपने आप में नहीं थी…….. एक ऐसी शांति न कोई चिंता न कोई चीज़ की चाहत ……… जब से कान्हा संग गौलोक धाम आयी हूँ……. कान्हा की मेहमान बन कर घूम रही हूँ……… वे एक संगमरमर के पथर पर बंसी लिये बैठे हैं…….. और मै गोद में सर रखके […]
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मेरी आँखे इस तेज़ पुंज को देख कर चकाचौंध हो गई….. वो तेज़ पुंज अब श्वेत की जगह रंगीन सा होने लगा था…….. तथा एक सुगन्धित खुशबू से कमरा भर गया था…… सुगन्ध ऐसी कि कभी नहीं महसूस की होगी जो आज पहली बार थी…… ओफ…. कुछ समझने कि कोशिश कर रही थी कि एक […]