जल्दी-पूरे घर के काम समाप्त किये और हर आहट पर नज़रें बाहर दरवाज़े पर टिकी थी…. क्यों न होती-मेरा कान्हा मेरा प्रियतम मुझे आज अपने साथ “गोवर्धन” तथा “निधिवन” घुमाने के लिए लेने आने वाले थे… कृष्ण रूप की छवि मेरी अँखियों में रस बस गयी थी…. आँखों के आगे वही छबीला-चंचल रूप वो जादुई […]
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मेरी आँखे इस तेज़ पुंज को देख कर चकाचौंध हो गई….. वो तेज़ पुंज अब श्वेत की जगह रंगीन सा होने लगा था…….. तथा एक सुगन्धित खुशबू से कमरा भर गया था…… सुगन्ध ऐसी कि कभी नहीं महसूस की होगी जो आज पहली बार थी…… ओफ…. कुछ समझने कि कोशिश कर रही थी कि एक […]