Kedarnath Temple in hindi केदारनाथ मंदिर का रहस्य

दोस्तों केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) की स्थापना कैसे हुई ? कहा जाता है कि जब युद्ध में पांडवों ने कौरवों का संघार किया तो वह युद्ध जीता गया परंतु दोस्तों अपने भाइयों व गोत्र की हत्या करने की उन्हें बहुत ग्लानि हुई तो फिर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें काशी में भगवान शंकर की पूजा करने को कहा। लेकिन जब वह काशी पहुंचे तो महादेव काशी छोड़ कर जा चुके थे। अब पांडव गुप्तकाशी गए तो वहां भी शिव ने दर्शन नहीं दिए। उसके बाद पांचों भाई केदारखंड की तरफ बढ़ चले। कहते हैं वहां भगवान् शिव भैंसे के रूप में थे तो पांडवों ने उन्हें पहचान लिया तथा जो ही शिव जाने लगे तो उन्होंने शिव रूपी भैंसे के पीछे के भाग को पकड़ लिया। भैंसे रूपी शिव के बाकी अंगों को पञ्च केदार कहा गया।

केदारनाथ मंदिर

मद्महेश्वर में शिव की नाभि की पूजा की जाती है। तुंगनाथ में हृदय की पूजा होती है। रुद्रनाथ में शिव के मुख की पूजा की जाती है। कल्पेश्वर में महादेव की जटाओं की पूजा की जाती है। पंच केदार में सबसे ज्यादा महत्व केदारनाथ का है। स्कंद पुराण में लिखा गया है – अगर कोई केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) के दर्शन के बाद बद्रीनाथ की यात्रा नहीं करता तो उसे उसका फल नहीं मिलता। केदार मंदिर की दीवारें 12 फीट मोटी है मंदिर 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर खड़ा है। केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) बहुत मजबूत पत्थरों से निर्मित है। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में आता है व 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। दोस्तों थोड़ी जानकारी दे रही हूं। आशा करती हूँ आपको अच्छी लगेगी।

Panch Kedar Temple

नोट: यह लेख “इंटरनेट” की सहायता से लिखा गया है

” डिप्टी सेक्रेटरी – प्यारे फाउंडेशन“

”लेखिका – पुष्पा थपलियाल”

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