कृष्ण संग संग के मेरे प्यारे कृष्ण प्रेमी दोस्तों हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे आओ… दोस्तों कृष्ण संग चल कर उन्हीं के बारे में हम जानकारी लेते हैं… दोस्तों… मथुरा में एक मंदिर है विश्राम घाट नाम की जगह में… आप में से कुछ […]
दोस्तों केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) की स्थापना कैसे हुई ? कहा जाता है कि जब युद्ध में पांडवों ने कौरवों का संघार किया तो वह युद्ध जीता गया परंतु दोस्तों अपने भाइयों व गोत्र की हत्या करने की उन्हें बहुत ग्लानि हुई तो फिर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें काशी में भगवान शंकर की पूजा […]
एक चींटी थी जिसका नाम निक्की था…. वह अपने परिवार के साथ एक मकान के आँगन में रहती थी…. सुबह नहा धोकर बचा कुछ अपने नन्हे बच्चों को खिला जाती थी जिनके नाम थे मुन्नू, गोलू, और निक्की ऋतू…आज भी उसने सुबह उठकर अपने बच्चों को खिला पिलाकर, नेहला-धुलाकर तैयार किया तथा खुद भी तैयार […]
इतनी अशांति और बेचैनी मन में कभी नहीं आई थी… जितनी कि आज थी इसलिए शायद मेरा ये मन उदासी का भारी बोझ लिए भटक रहा था… चलते चलते रास्ते के दूसरी तरफ बानी कोयला चुगने वालों तथा कूड़ा चुगने वालों की झुग्गी झोपड़ियों की तरफ देखती चली जा रही थी… उन्हें देखकर मन दुखी […]
मैं रात भर सो न सकी…. क्योकि हाल ही में मेरी एक कहानी पर राज्य सरकार ने मुझे पुरस्कार से सम्मानित किया था और उसी सिलसिले में सुबह टेलीविज़न पर पर देने के लिए कुछ लोग मेरा साक्षात्कार लेने आ रहे थे… अख़बारों तथा कुछ ख़ास पत्रिकाओं में भी काफी प्रशंसा पढ़ने को मिली ….सुबह […]
कुछ समय पूर्व की बात है हम कुछ लोग उत्तराखंड घूमने गए…. सुबह का समय था… साथ के सभी लोग सोये हुए थे… कारण के पहले दिन घूमकर काफी थकान थी… आराम से सोये थे… मेरी नींद खुली तो मै अपने होटल रूम से बहार आ गयी… चरों तरफ का सुन्दर नज़ारा देखकर मन ख़ुशी […]
चंद्र कुंड के आस पास हल्का कोहरा फैला था… ओंस की बूँदें पेड़ों की शाखाओं से मोती की तरह टपक टपक कर धुल में मिली जा रही थी… हलकी सी ठण्ड… जो मन को भली लग रही थी… वो सिरहन जो शरीर में हलचल पैदा करती तथा एक मीठी सी कश्मकश … ऐसा सुबह का […]
आज मैं कृष्ण संग निधिवन के लिए निकली… गलियों में घूमते फिरते निधिवन के निकट आ गए थे… सभी छोटे बड़े मंदिर में दर्शन करते हुए हम टेड़े खम्बे मंदिर के बाहर से अंदर के लिए जा रहे थे…. कि भीड़ में मेरा हाथ कान्हा के हाथों से छूट गया…. बस हाथ छूटा और मैं […]
जल्दी-पूरे घर के काम समाप्त किये और हर आहट पर नज़रें बाहर दरवाज़े पर टिकी थी…. क्यों न होती-मेरा कान्हा मेरा प्रियतम मुझे आज अपने साथ “गोवर्धन” तथा “निधिवन” घुमाने के लिए लेने आने वाले थे… कृष्ण रूप की छवि मेरी अँखियों में रस बस गयी थी…. आँखों के आगे वही छबीला-चंचल रूप वो जादुई […]
जब से गौलोक धाम गयी……… मैं अपने आप में नहीं थी…….. एक ऐसी शांति न कोई चिंता न कोई चीज़ की चाहत ……… जब से कान्हा संग गौलोक धाम आयी हूँ……. कान्हा की मेहमान बन कर घूम रही हूँ……… वे एक संगमरमर के पथर पर बंसी लिये बैठे हैं…….. और मै गोद में सर रखके […]